Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=फ़ानी बदायूनी
|संग्रह=
}}रफ़्तए-नज़र<ref>उपेक्षित दृष्टि</ref> हो जा, सबसे बेख़बर हो जा।
रफ़्तए-नज़र<ref>उपेक्षित दृष्टि</ref> हो जा, सबसे बेख़बर हो जा। खुल गय गया है राज़ अपना खुल न जाये राज़ उनका॥