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{{KKRachna
|रचनाकार=जोश मलीहाबादी
}}{{KKCatGhazal}}<poem>[[Category:ग़ज़ल]]
ज़िन्दगी ख़्वाब-ए-परेशां है कोई क्या जाने
मौत की लरज़िश-ए-मिज़्शगाँ है कोई क्या जाने
रामिश-ओ-रंग <ref>संगीत और रंग</ref> के ऐवान में लैला-ए-हयात
सिर्फ़ एक रात की मेहमाँ है कोई क्या जाने
रंग-ओ-आहंग से बजती हुई यादों की बरात
रहरव-ए-जादा-ए-निसियाँ <ref>भूले हुए रास्तों का राही</ref> है कोई क्या जाने </poem>
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