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"द्वार तक आकर / उदयन वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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22:48, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
... और उसके बच्चे
द्वार तक आकर कँपकँपाती है
पवन, ठिठक जाता है प्रभात
वे प्रार्थना की तरह
सो रहे हैं, वह प्रार्थना
की तरह हो रही है