Changes

भंवर / मोहन राणा

47 bytes added, 12:21, 26 दिसम्बर 2009
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
अंगूर की बेलों में लिपट
 
सो जाती धूप बीच दोपहर
 
गहरी छायाओं में
 
सोए हैं राक्षस
 
सोए हैं योद्धा
 
सोए हैं नायक
 
सोया है पुरासमय खुर्राता
 
अपने आपको दुहराते अभिशप्त वर्तमान में
  '''रचनाकाल: 4.12.2005</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits