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लौटते कभी नहीं / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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18:43, 26 दिसम्बर 2009
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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लौटते कभी नहीं
आँसू में गाए दिन
ओस में नहाए
दिन ।
दिन।
सुधियों कि गोद में
रात-रात जागकर
भारी पलकों में सजे
उलझी अलकों में सजे
बीते जो तुम्हारे बिन
लौटते नहीं
कभी ।
कभी।
पहुँच किसी मोड़ पर
रिश्ते सभी छोड़कर
फिर दूर तक निहारते
उस प्यार को पुकारते
फिसले हाथ से जो छिन
लौटते कभी
नहीं ।
नहीं।
</poem>
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