भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शांति, आतंक / मिक्लोश रादनोती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=मिक्लोश रादनोती |संग्रह= }} Category:हंगारी भाषा <P…)
 
छो ("शांति, आतंक / मिक्लोश रादनोती" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

01:19, 29 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: मिक्लोश रादनोती  » शांति, आतंक

जब मैं फाटक से बाहर आया तो दस बजे थे
एक डबलरोटी वाला अपनी चमकती हुई साइकल पर गाता चला गया
ऊपर एक हवाई जहाज घरघरा रहा था, सूरज चमक रहा था, दस बजे थे,

मेरी बहन जो मर चुकी थी याद आई और वे सारी आत्माएँ
जिन्हें मैंने चाहा था, जो अब नहीं थीं,
ऊपर मंडराने लगी

मरे हुए मौन लोगों का एक अँधियारा दल ऊपर से गुज़र गया
और अचानक दीवार पर एक साया गिरा,
चुप्पी में सुबह सहम गई, दस बजे थे
सड़क पर शांति थी, आतंक की छुअन भी थी।


रचनाकाल : 1938

अंग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे