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शौक़ को बेक़रार रहने दे
आगही<ref>सावधानी</ref> भी तो हासिले-ग़म<ref>दुख की प्राप्ति </ref> है
दिल पे ग़म का ग़ुबार रहने दे
यह शबे-इन्तज़ार रहने दे
अपनी ग़ज़लों के आबगीने <ref>बूँद</ref> में
‘चाँद’ तस्वीरे-यार रहने दे
</poem>
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