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दिल में ग़म का शरार रहने दे / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी

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दिल में ग़म का शरार<ref>दुख का अंगारा</ref> रहने दे
शौक़ को बेक़रार रहने दे

आगही<ref>सावधानी</ref> भी तो हासिले-ग़म<ref>दुख की प्राप्ति </ref> है
दिल पे ग़म का ग़ुबार रहने दे

ज़िन्दगी बन्दिशो-हिजाब<ref>बंधन और पर्दा</ref>सही
कोई राहे फ़रार रहने दे

ऐ अज़ल <ref>मृत्यु</ref> सब उठा लिए तुमने
कुछ हक़ीक़त निगार<ref>सच कहने वाला</ref> रहने दे

दोस्तों ने भी क्या कसर छोड़ी
दुश्मनों का शुमार<ref>गिनती</ref>रहने दे

ऐ ख़ुदा दिल की बेक़रारी को
हश्र<ref>क़यामत</ref> तक बरक़रार रहने दे

सर-बुलन्दी नहीं मेरा शेवा
ख़ाक़ हूँ ख़ाक़सार रहने दे

तेरा ख़ादिम हूँ तेरा बन्दा हूँ
मुझको ख़िदमत गुज़ार रहने दे

आगही<ref>सावधानी</ref>!अपनी राह लग मुझको
गुमरही<ref>भटकाव</ref> का शिकार रहने दे

अपना दामन सजा ले फूलों से
मेरे दामन में ख़ार<ref>काँटे</ref> रहने दे

ख़ुदफ़रेबी से दिल को बहला लूँ
यह शबे-इन्तज़ार रहने दे

अपनी ग़ज़लों के आबगीने<ref>बूँद</ref> में
‘चाँद’ तस्वीरे-यार रहने दे

शब्दार्थ
<references/>