गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दिल में ग़म का शरार रहने दे / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी
23 bytes added
,
02:27, 22 फ़रवरी 2010
यह शबे-इन्तज़ार रहने दे
अपनी ग़ज़लों के आबगीने
<ref>बूँद</ref>
में
‘चाँद’ तस्वीरे-यार रहने दे
</poem>
{{KKMeaning}}
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits