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<Poem>
वह दरवाजे दरवाज़े पर है
उस पार से बहुत बड़ी दुनिया
पार कर के दस्तक
जब दरवाजे दरवाज़े पर होगी
तब के लिए वह रात भर
वह एक भूली हुई चीज है.चीज़ है।
भगवान के अपने लिए मौत
मेरे लिए सब कुछ मॉंगतीमाँगती
काम करती अपना
अकेली घर में जब तक है
घर में दिये का उजाला है.है।
आज मुझे उसकी याद
आ रही है अभी.अभी।
मुझे अभी उसे भूल जाना है
बाहर रह जाएगी वह
और दस्तक नहीं देगी.देगी।</poem>