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"माँ / नवीन सागर" के अवतरणों में अंतर

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वह दरवाजे पर है
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उस पार से बहुत बड़ी दुनिया
 
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पार कर के दस्‍तक
 
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जब दरवाजे पर होगी
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तब के लिए वह रात भर
 
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दरवाजे पर है.
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वह एक भूली हुई चीज है.
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भगवान के अपने लिए मौत
 
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मेरे लिए सब कुछ मॉंगती
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काम करती अपना
 
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घर में दिये का उजाला है.
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आज मुझे उसकी याद
 
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आ रही है अभी.
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मुझे अभी उसे भूल जाना है
 
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दरवाजा बंद होते ही
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बाहर रह जाएगी वह  
 
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और दस्‍तक नहीं देगी.
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20:49, 2 मई 2010 के समय का अवतरण

वह दरवाज़े पर है
उस पार से बहुत बड़ी दुनिया
पार कर के दस्‍तक
जब दरवाज़े पर होगी
तब के लिए वह रात भर
दरवाज़े पर है।

वह एक भूली हुई चीज़ है।

भगवान के अपने लिए मौत
मेरे लिए सब कुछ माँगती
काम करती अपना
अकेली घर में जब तक है
घर में दिये का उजाला है।

आज मुझे उसकी याद
आ रही है अभी।

मुझे अभी उसे भूल जाना है
दरवाज़ा बंद होते ही
बाहर रह जाएगी वह
और दस्‍तक नहीं देगी।