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"प्रणय कुंज / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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13:06, 31 मई 2010 के समय का अवतरण
तुम प्रणय कुंज में जब आई
पल्लवित हो उठा मधु यौवन
मंजरित हृदय की अमराई।
मलय हुआ मद चंचल
लहराया सरसी जल
अलि गूँज उठे पिक ध्वनि छाई।
अब वह स्वप्न अगोचर
मर्म व्यथाऽ, मथित करती अंतर
प्राणों के दल झर झर
करते आकुल मर्मर।
चिर विरह मिलन में भर
तुम प्रणय कुंज में जब आई।