Changes

अब कुफ्र करना छोड़ दो हर दश्त के अम्बार में.
पिंजरे में कैद शेर से तूं आज क्यों डराने डरने लगा
वो आदमी गांधी नहीं जो चींखता आजार में.
(रचना-तिथि: ०२-०९-१९९५)