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"गुजरात-1 / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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कि कहीं उन पर नज़र न पड़ जाए
 
कि कहीं उन पर नज़र न पड़ जाए

13:00, 11 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

घर से सारी पत्रिकाएँ और अख़बार हटा दिए

कि कहीं उन पर नज़र न पड़ जाए

रेडियो और टी.वी. के कनेक्शन काट दिए

कि कहीं ख़बरें न आने लगें उसी वक़्त

लेकिन घर में जले हुए गोश्त की बू है

इसका क्या करें

गोश्त ज़रा-सा लग गया रसोई में

और एक मुसलमान दोस्त आने वाले हैं खाने पर