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"जिस दिन से आए / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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नाम नहीं लेते जाने का
 
नाम नहीं लेते जाने का
 
घर की लिपी-पुती बैठक से
 
घर की लिपी-पुती बैठक से
कम ले रहे तहखाने का
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काम ले रहे तहख़ाने का
 
धक्के मार निकालूँ कैसे ?
 
धक्के मार निकालूँ कैसे ?
  
 
       ये मुझसे तगड़े हैं ।
 
       ये मुझसे तगड़े हैं ।
 
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20:34, 5 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

      जिस दिन से आए
       उस दिन से
       घर में यहीं पड़े हैं
       दुख कितने लंगड़े हैं ?

पैसे,
ऐसे अलमारे से
फूल चुरा ले जायें बच्चे
जैसे फुलवारी से

       दंड नहीं दे पाता
       यद्यपि-
      रँगे हाथ पकड़े हैं ।

नाम नहीं लेते जाने का
घर की लिपी-पुती बैठक से
काम ले रहे तहख़ाने का
धक्के मार निकालूँ कैसे ?

       ये मुझसे तगड़े हैं ।