भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रार्थना / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अनिल जनविजय | |रचनाकार=अनिल जनविजय | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय |
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | '''कवि राजा खुगशाल के लिए''' | |
यह दुनिया | यह दुनिया | ||
− | |||
औरतों के हाथों में दे दो | औरतों के हाथों में दे दो | ||
− | + | रोटी की तरह गोल और फूली | |
− | + | ||
− | + | ||
इस पृथ्वी पर | इस पृथ्वी पर | ||
− | |||
प्रेम की मधुर आँच हैं | प्रेम की मधुर आँच हैं | ||
− | |||
रस माधुर्य का स्रोत हैं | रस माधुर्य का स्रोत हैं | ||
− | |||
इस सृष्टि में | इस सृष्टि में | ||
− | |||
जीवन की पवित्र कोख हैं औरतें | जीवन की पवित्र कोख हैं औरतें | ||
− | |||
औरतों के हाथों में | औरतों के हाथों में | ||
− | |||
सम्हली रहेगी यह दुनिया | सम्हली रहेगी यह दुनिया | ||
− | |||
बेहतर और सुन्दर बनेगी | बेहतर और सुन्दर बनेगी | ||
− | |||
रचना की प्रेरणा हैं औरतें | रचना की प्रेरणा हैं औरतें | ||
− | |||
सूर्य की ऊष्मा हैं | सूर्य की ऊष्मा हैं | ||
− | |||
ऊर्जा का उदगम हैं | ऊर्जा का उदगम हैं | ||
− | |||
हर्ष हैं हमारे जीवन का | हर्ष हैं हमारे जीवन का | ||
− | |||
उल्लास हैं | उल्लास हैं | ||
− | |||
उज्ज्वल, निर्द्वन्द्व ममता की सर्जक हैं | उज्ज्वल, निर्द्वन्द्व ममता की सर्जक हैं | ||
− | + | हे पुरुषो ! | |
− | हे | + | |
− | + | ||
एक ही प्रार्थना है तुमसे | एक ही प्रार्थना है तुमसे | ||
− | |||
यह हमारी दुनिया | यह हमारी दुनिया | ||
− | |||
औरतों के हाथों में दे दो | औरतों के हाथों में दे दो | ||
− | |||
अगर तुम सुरक्षित रखना चाहते हो इसे | अगर तुम सुरक्षित रखना चाहते हो इसे | ||
− | |||
अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए | अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए | ||
− | + | (2001) | |
− | (2001 | + | </poem> |
13:09, 17 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
कवि राजा खुगशाल के लिए
यह दुनिया
औरतों के हाथों में दे दो
रोटी की तरह गोल और फूली
इस पृथ्वी पर
प्रेम की मधुर आँच हैं
रस माधुर्य का स्रोत हैं
इस सृष्टि में
जीवन की पवित्र कोख हैं औरतें
औरतों के हाथों में
सम्हली रहेगी यह दुनिया
बेहतर और सुन्दर बनेगी
रचना की प्रेरणा हैं औरतें
सूर्य की ऊष्मा हैं
ऊर्जा का उदगम हैं
हर्ष हैं हमारे जीवन का
उल्लास हैं
उज्ज्वल, निर्द्वन्द्व ममता की सर्जक हैं
हे पुरुषो !
एक ही प्रार्थना है तुमसे
यह हमारी दुनिया
औरतों के हाथों में दे दो
अगर तुम सुरक्षित रखना चाहते हो इसे
अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए
(2001)