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आठों पहर | आठों पहर | ||
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जगा रहता है | जगा रहता है | ||
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यह शहर | यह शहर | ||
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आतुर नदी का प्रवाह | आतुर नदी का प्रवाह | ||
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कराहते सागर की लहर | कराहते सागर की लहर | ||
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करता है | करता है | ||
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मुझे प्रमुदित | मुझे प्रमुदित | ||
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और बरसाता है | और बरसाता है | ||
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कहर | कहर | ||
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रूप व राग की भूमि है | रूप व राग की भूमि है | ||
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कलयुगी सभ्यता का महर | कलयुगी सभ्यता का महर | ||
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अज़दहा है | अज़दहा है | ||
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राजसत्ता का | राजसत्ता का | ||
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कभी अमृत | कभी अमृत | ||
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तो कभी ज़हर | तो कभी ज़हर | ||
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13:16, 17 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
आठों पहर
जगा रहता है
यह शहर
आतुर नदी का प्रवाह
कराहते सागर की लहर
करता है
मुझे प्रमुदित
और बरसाता है
कहर
रूप व राग की भूमि है
कलयुगी सभ्यता का महर
अज़दहा है
राजसत्ता का
कभी अमृत
तो कभी ज़हर
(2000)