भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक लड़का / इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: इब्ने इंशा Category:कविताएँ Category:इब्ने इंशा ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ एक ...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकार: [[इब्ने इंशा]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=इब्ने इंशा
[[Category:इब्ने इंशा]]
+
}}
 
+
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
  

02:37, 11 जून 2008 का अवतरण


एक छोटा-सा लड़का था मैं जिन दिनों

एक मेले में पंहुचा हुमकता हुआ

जी मचलता था एक-एक शै पर मगर

जेब खाली थी कुछ मोल ले न सका

लौट आया लिए हसरतें सैकड़ों

एक छोटा-सा लड़का था मै जिन दिनों


खै़र महरूमियों के वो दिन तो गए

आज मेला लगा है इसी शान से

आज चाहूं तो इक-इक दुकां मोल लूं

आज चाहूं तो सारा जहां मोल लूं

नारसाई का जी में धड़का कहां ?

पर वो छोट-सा अल्हड़-सा लड़का कहां ?


नारसाई=असमर्थता