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"कविता सूं बेसी / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर

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16:55, 1 दिसम्बर 2010 का अवतरण

कुण कैवै
म्हैं कीं नीं लिख्यो
इण दिनां

कविता में सबद हुवै
प्राण
जीवण रो आधार ।

म्है रच्यो
जीवण ।

अबै सोच -
म्हारो रचाव
कविता सूं
कीं बेसी ईं हुवैला ।