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कविता सूं बेसी / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
कुण कैवै
म्हैं कीं नीं लिख्यो
इण दिनां
कविता में सबद हुवै
प्राण
जीवण रो आधार ।
म्है रच्यो
जीवण ।
अबै सोच -
म्हारो रचाव
कविता सूं
कीं बेसी ईं हुवैला ।