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"पतियारो / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर
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16:58, 1 दिसम्बर 2010 का अवतरण
थारै सूं हर करती बगत
कद सोची ही म्हैं
कै इण भांत
खिंड जावैला
आपणै सपनां रो संसार।
हणै ई
ओळूं रै ओळावै
म्हैं गोख आवूं
मन रै खुणां-खचूणां
उण दुनियां रो अैनाण।
म्हनैं पतियारो है !