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08:37, 30 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काले काँ माहिया

बिछड़े सज्जनाँ दे

भुल्ल जांदे ने नाँ, माहिया !


भावार्थ

--'काले काग हैं

बिछुड़े हुए प्रेमियों के

नाम भी भूल जाते हैं ।'