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09:19, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
डस गई
अनमने एकांत को
भीड़ निरर्थकता की
व्यर्थ अनुभूतियां
दंश के बाद
हुईं शिथिल
होने का दर्द
प्रश्नों की भीड़
और अर्थों की पीड़ा
भाग रहे हैं
जन्म की तरफ
जन्म के पश्चात
पीड़ित मुस्कान
बू की सच्चाई
ख़ुश्बू की आहट।