अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीपचन्द्र पांडे |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> बंदूक क…) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=प्रदीपचन्द्र पांडे | |रचनाकार=प्रदीपचन्द्र पांडे | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
− | }} | + | }}{{KKCatKavita}} |
− | {{ | + | {{KKAnthologyMaa}} |
<Poem> | <Poem> | ||
बंदूक की गोली से भी | बंदूक की गोली से भी | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
क्यों टूटी | क्यों टूटी | ||
− | बूढ़ी माँ की नींद ? | + | बूढ़ी माँ की नींद? |
</poem> | </poem> |
17:44, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
बंदूक की गोली से भी
ऊँची भरी उड़ान
पक्षी ने
देर तक
उड़ता रहा आसमान में
सुनता रहा बादलों को
देखता रहा
चमकती बिजलियाँ
उस समय
घूम रही थी पृथ्वी
घूम रहा था समय
ठीक उसी समय टूटी
बूढ़ी माँ की नींद
क्यों टूटी
बूढ़ी माँ की नींद?