(नया पृष्ठ: वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छांह भी, मांग मत, मांग…) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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वृक्ष हों भले खड़े, | वृक्ष हों भले खड़े, | ||
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हों घने हों बड़े, | हों घने हों बड़े, | ||
| − | + | एक पत्र छाँह भी, | |
| − | एक पत्र | + | माँग मत, माँग मत, माँग मत, |
| − | + | अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। | |
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | अग्निपथ अग्निपथ | + | |
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तू न थकेगा कभी, | तू न थकेगा कभी, | ||
| − | |||
तू न रुकेगा कभी, | तू न रुकेगा कभी, | ||
| − | |||
तू न मुड़ेगा कभी, | तू न मुड़ेगा कभी, | ||
| − | |||
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, | कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, | ||
| − | + | अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। | |
| − | अग्निपथ अग्निपथ | + | |
| − | + | ||
यह महान दृश्य है, | यह महान दृश्य है, | ||
| − | |||
चल रहा मनुष्य है, | चल रहा मनुष्य है, | ||
| − | + | अश्रु स्वेद रक्त से, | |
| − | अश्रु | + | |
| − | + | ||
लथपथ लथपथ लथपथ, | लथपथ लथपथ लथपथ, | ||
| − | + | अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। | |
| − | + | ||
10:10, 19 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।