[[ कुण्डलियाँ / गिरिधर कवि ]] <br>
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[[गिरिधर कवि]] <br>
[[कविता]] <br>
[[गिरिधर कवि]] <br>
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जानो नहीं जिस गाँव में ,कहा बूझनो नाम ।<br>
तिन सखान की क्या कथा,जिनसो नहिं कुछ काम ॥<br>
जिनसो नहिं कुछ काम,करे जो उनकी चरचा ।<br>
राग द्वेष पुनि क्रोध बोध में तिनका परचा ॥<br>
कह गिरिधर कविराय होइ जिन संग मिलि खानो।<br>
ताकी पूछो जात बरन कुल क्या है जानो ॥1॥<br>
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