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कुण्डलियाँ / गिरिधर कवि




गिरिधर कवि


कविता


गिरिधर कवि


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जानो नहीं जिस गाँव में ,कहा बूझनो नाम ।
तिन सखान की क्या कथा,जिनसो नहिं कुछ काम ॥
जिनसो नहिं कुछ काम,करे जो उनकी चरचा ।
राग द्वेष पुनि क्रोध बोध में तिनका परचा ॥
कह गिरिधर कविराय होइ जिन संग मिलि खानो।
ताकी पूछो जात बरन कुल क्या है जानो ॥1॥

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