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यह वो समय है जब
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खेत पड़े हैं उघारे
कट चुकी है फसल<br>
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अन्यमनस्क है मिट्टी सहसा धूप में पड़ कर -
और नया बोने का दिन नहीं<br><br>
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हर थोड़ी दूर पर मेंड़ों की छाँह-
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चमकती हैं कटी खूँटियाँ
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दूर पर चरती भेड़ों के रेवड़
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और मूसकोल
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और चींटियों के बिल के बाहर मिट्टी चूर
  
खेत पड़े हैं उघारे<br>
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यह वो समय है जब
अन्यमनस्क है मिट्टी सहसा धूप में पड़ कर -<br>
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शेष हो चुका है पुराना
हर थोड़ी दूर पर मेंड़ों की छाँह-<br>
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चमकती हैं कटी खूँटियाँ<br>
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दूर पर चरती भेड़ों के रेवड़<br>
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और मूसकोल<br>
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और चींटियों के बिल के बाहर मिट्टी चूर<br><br>
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यह वो समय है जब<br>
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शेष हो चुका है पुराना<br>
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और नया आने को शेष है<br>
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13:20, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

यह वो समय है जब
कट चुकी है फसल
और नया बोने का दिन नहीं

खेत पड़े हैं उघारे
अन्यमनस्क है मिट्टी सहसा धूप में पड़ कर -
हर थोड़ी दूर पर मेंड़ों की छाँह-
चमकती हैं कटी खूँटियाँ
दूर पर चरती भेड़ों के रेवड़
और मूसकोल
और चींटियों के बिल के बाहर मिट्टी चूर

यह वो समय है जब
शेष हो चुका है पुराना
और नया आने को शेष है