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− | <poem>है आबिदों को | + | <poem> |
− | और ज़ाहिदों को | + | है आबिदों<ref>श्रद्धालु</ref> को त‘अत-ओ-तजरीद<ref>श्रद्धा</ref> की ख़ुशी |
− | + | और ज़ाहिदों<ref>पूजा करने वाला</ref> को जुहाद<ref>धर्म की बात</ref> की तमहीद<ref>शुरुआत</ref> की ख़ुशी | |
− | + | रिन्द आशिकों को है कई उम्मीद की ख़ुशी | |
+ | कुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी | ||
− | + | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी | |
− | + | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | |
− | + | ||
− | ऐसी न शब-ए-बरात न | + | |
− | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | + | |
पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है | पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है | ||
शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है | शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है | ||
− | + | पीर<ref>पुराना</ref>-ओ-जवान को नेम‘तें<ref>ईनाम/दया</ref> खाने की धूम है | |
− | पीर-ओ-जवान को | + | लड़कों को ईद-गाह के जाने की धूम है |
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− | + | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी | |
− | + | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | |
− | ऐसी न शब-ए-बरात न | + | |
− | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | + | |
कोई तो मस्त फिरता है जाम-ए-शराब से | कोई तो मस्त फिरता है जाम-ए-शराब से | ||
− | कोई | + | कोई पुकारता है कि छूटे अज़ाब<ref>यातना</ref> से |
− | + | कल्ला<ref>गाल</ref> किसी का फूला है लड्डू की चाब से | |
− | कल्ला किसी का फूला है लड्डू की चाब से | + | चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से |
− | चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से | + | |
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− | + | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी | |
− | + | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | |
− | + | क्या है मुआन्क़े<ref>आलिंगन</ref> की मची है उलट पलट | |
− | दिल | + | मिलते हैं दौड़ दौड़ के बाहम झपट झपट |
+ | फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में गट के गट<ref>भीड़</ref> | ||
+ | आशिक मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट | ||
− | + | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी | |
+ | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | ||
− | + | काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी | |
− | + | पिशवाज़ें<ref>कुरती</ref> सुर्ख़ सौसनी लाही की फुलझड़ी | |
+ | कुर्ती कभी दिखा कभी अंगिया कसी कड़ी | ||
+ | कह “ईद ईद” लूटें हैं दिल को घड़ी घड़ी | ||
− | + | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी | |
− | + | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | |
− | + | रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल | |
− | + | ख़ुश हो गये वो देखते ही ईद का हिलाल<ref>ईद का चांद</ref> | |
+ | पोशाकें तन में ज़र्द, सुनहरी सफेद लाल | ||
+ | दिल क्या कि हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल | ||
− | ऐसी न शब-ए-बरात न | + | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी |
− | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | + | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी |
− | + | जो जो कि उन के हुस्न की रखते हैं दिल से चाह | |
− | + | जाते हैं उन के साथ ता बा-ईद-गाह | |
+ | तोपों के शोर और दोगानों की रस्म-ओ-राह | ||
+ | मयाने, खिलोने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह | ||
− | + | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी | |
− | + | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | |
− | सब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर | + | रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीर |
− | देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है | + | तो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीर |
+ | सब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर | ||
+ | देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियां ‘नज़ीर‘ | ||
+ | ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी | ||
+ | जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी | ||
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11:19, 9 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
है आबिदों<ref>श्रद्धालु</ref> को त‘अत-ओ-तजरीद<ref>श्रद्धा</ref> की ख़ुशी
और ज़ाहिदों<ref>पूजा करने वाला</ref> को जुहाद<ref>धर्म की बात</ref> की तमहीद<ref>शुरुआत</ref> की ख़ुशी
रिन्द आशिकों को है कई उम्मीद की ख़ुशी
कुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है
शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है
पीर<ref>पुराना</ref>-ओ-जवान को नेम‘तें<ref>ईनाम/दया</ref> खाने की धूम है
लड़कों को ईद-गाह के जाने की धूम है
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
कोई तो मस्त फिरता है जाम-ए-शराब से
कोई पुकारता है कि छूटे अज़ाब<ref>यातना</ref> से
कल्ला<ref>गाल</ref> किसी का फूला है लड्डू की चाब से
चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
क्या है मुआन्क़े<ref>आलिंगन</ref> की मची है उलट पलट
मिलते हैं दौड़ दौड़ के बाहम झपट झपट
फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में गट के गट<ref>भीड़</ref>
आशिक मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी
पिशवाज़ें<ref>कुरती</ref> सुर्ख़ सौसनी लाही की फुलझड़ी
कुर्ती कभी दिखा कभी अंगिया कसी कड़ी
कह “ईद ईद” लूटें हैं दिल को घड़ी घड़ी
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल
ख़ुश हो गये वो देखते ही ईद का हिलाल<ref>ईद का चांद</ref>
पोशाकें तन में ज़र्द, सुनहरी सफेद लाल
दिल क्या कि हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
जो जो कि उन के हुस्न की रखते हैं दिल से चाह
जाते हैं उन के साथ ता बा-ईद-गाह
तोपों के शोर और दोगानों की रस्म-ओ-राह
मयाने, खिलोने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीर
तो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीर
सब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर
देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियां ‘नज़ीर‘
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी