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पालो अपने अंदर इच्छा | पालो अपने अंदर इच्छा | ||
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मैं रखना चाहती हूँ | मैं रखना चाहती हूँ | ||
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किताब को उतने ही पास | किताब को उतने ही पास | ||
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जितने नज़दीक रहते हैं मेरे सपने | जितने नज़दीक रहते हैं मेरे सपने | ||
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किताबो, तुम साथ रहो | किताबो, तुम साथ रहो | ||
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हमारी अधूरी इच्छाओं के | हमारी अधूरी इच्छाओं के | ||
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कहीं सिक्कों के जाल में | कहीं सिक्कों के जाल में | ||
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गुम न हो जाये इच्छाओं का अकेलापन । | गुम न हो जाये इच्छाओं का अकेलापन । | ||
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मैं उपहार में देना चाहती हूँ किताबें उन्हें | मैं उपहार में देना चाहती हूँ किताबें उन्हें | ||
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जो होते-होते मेरे छिप गए | जो होते-होते मेरे छिप गए | ||
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लुका-छिपी के खेल में- | लुका-छिपी के खेल में- | ||
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उन्हें भी एक किताब | उन्हें भी एक किताब | ||
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जो हो नहीं सके मेरे कभी | जो हो नहीं सके मेरे कभी | ||
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बाईस बरस की इस ज़िंदगी में | बाईस बरस की इस ज़िंदगी में | ||
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ओ महँगी किताबो | ओ महँगी किताबो | ||
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तुम थोड़ी सस्ती हो जाओ | तुम थोड़ी सस्ती हो जाओ | ||
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मैं उतरना चाहती हूँ | मैं उतरना चाहती हूँ | ||
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तुम्हारी इस रहस्यमयी दुनिया में । | तुम्हारी इस रहस्यमयी दुनिया में । | ||
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12:56, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण
प्रकाशको!
कम करो किताबों का दाम
किताबें नहीं हैं महँगी शराब
पालो अपने अंदर इच्छा
दौड़ पड़ें बच्चे किताबों के पीछे
दौड़ते हैं जैसे तितली पकड़ने को ।
मैं रखना चाहती हूँ
किताब को उतने ही पास
जितने नज़दीक रहते हैं मेरे सपने
किताबो, तुम साथ रहो
हमारी अधूरी इच्छाओं के
कहीं सिक्कों के जाल में
गुम न हो जाये इच्छाओं का अकेलापन ।
मैं उपहार में देना चाहती हूँ किताबें उन्हें
जो होते-होते मेरे छिप गए
लुका-छिपी के खेल में-
उन्हें भी एक किताब
जो हो नहीं सके मेरे कभी
बाईस बरस की इस ज़िंदगी में
लिख नहीं सकी एक किताब पर भी अपना नाम ।
ओ महँगी किताबो
तुम थोड़ी सस्ती हो जाओ
मैं उतरना चाहती हूँ
तुम्हारी इस रहस्यमयी दुनिया में ।