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"शहर-1 / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

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मैंने शहर को देखा और मैं मुस्कराया
 
मैंने शहर को देखा और मैं मुस्कराया
  

22:15, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

मैंने शहर को देखा और मैं मुस्कराया

वहाँ कोई कैसे रह सकता है

यह जानने मैं गया

और वापस न आया ।


(रचनाकाल :1974)