भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शहर-1 / मंगलेश डबराल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने शहर को देखा और मैं मुस्कराया

वहाँ कोई कैसे रह सकता है

यह जानने मैं गया

और वापस न आया ।


(रचनाकाल :1974)