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नज़र की ओट में हर फूल बेक़रार भी है
खिले हैं फूल उमंगों के चारों और ओर जहाँ
कहीं पे बीच में यादों का एक मज़ार भी है
दिए तो रूप की पलकों में सज रहे हैं मगर
किसी के किसीके पाँव की आहट का इंतज़ार भी है
हमें मिटा तो रहे हो, मगर रहे यह याद
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