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"आदमी और क़िताबें / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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इन्तज़ार करते हैं आदमी
 
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कोई पढ़े उनको !
 
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लिखते हैं क़िताबें आदमी ।
 
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करती हैं क़िताबें इन्तज़ार
 
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पढ़े जाने का ।
 
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17:30, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

इन्तज़ार करते हैं आदमी
कोई पढ़े उनको !
लिखते हैं क़िताबें आदमी ।
करती हैं क़िताबें इन्तज़ार
पढ़े जाने का ।