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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div>
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<div style="font-size:15px;">'''शीर्षक : अच्‍छे बच्‍चे ('''रचनाकार:''' [[नरेश सक्‍सेना ]])</div>
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</tr>
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</table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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अच्‍छे बच्‍चे
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कुछ बच्चे बहुत अच्छे होते हैं
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<div style="text-align: center;">
वे गेंद और ग़ुब्बारे नहीं मांगते
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
मिठाई नहीं मांगते ज़िद नहीं करते
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</div>
और मचलते तो हैं ही नहीं
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बड़ों का कहना मानते हैं
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
वे छोटों का भी कहना मानते हैं
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
इतने अच्छे होते हैं
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अपरिचित पास आओ
  
इतने अच्छे बच्चों की तलाश में रहते हैं हम
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
और मिलते ही
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
उन्हें ले आते हैं घर
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
अक्सर
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
तीस रुपये महीने और खाने पर।
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया