भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दूहा / जोगेश्वर गर्ग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जोगेश्वर गर्ग |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थानी भाषा…)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
+
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय !
+
{{KKCatKavita‎}}
तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय !!
+
<poem>
सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप !
+
सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय!
निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप !!
+
तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय!!
साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप !
+
सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप!
बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप !!</poem>
+
निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप!!
 +
साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप!
 +
बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप!!
 +
</poem>

11:15, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय!
तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय!!
सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप!
निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप!!
साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप!
बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप!!