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"मौसम ठहर जाए / ओम निश्चल" के अवतरणों में अंतर

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मेघ का, मल्हार का
 
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मौसम ठहर जाए,
 
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कुछ करो---
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कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए।
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यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
  
 
जल रहा मन आज
 
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सुधियों के अंगारों में,
 
सुधियों के अंगारों में,
दर्द कुछ  हल्कार हुआ है
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       इन फुहारों में,
 
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रुप का, अभिसार का
 
रुप का, अभिसार का
मौसम ठहर जाए।
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कुछ करो---
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कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए।
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यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
  
 
बादलों की गंध में
 
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जीत का, यह हार का
 
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मौसम ठहर जाए,
 
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो--
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कुछ करो-
यह प्यारर का मौसम ठहर जाए।
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यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
  
तुम सुनाओं ग़ज़ल कोई
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तुम सुनाओ ग़ज़ल कोई
 
गीत हम गाऍं,
 
गीत हम गाऍं,
क्याह पता हम-तुम
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क्या पता हम-तुम
 
कहीं फिर दूर हो जाऍं,
 
कहीं फिर दूर हो जाऍं,
 
मान का, मनुहार का  
 
मान का, मनुहार का  
 
मौसम ठहर जाए,
 
मौसम ठहर जाए,
कुछ  करो---
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कुछ  करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए।
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यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।
 
<Poem>
 
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09:37, 14 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

मेघ का, मल्हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।

जल रहा मन आज
सुधियों के अंगारों में,
दर्द कुछ हल्का हुआ है
      इन फुहारों में,
रुप का, अभिसार का
मौसम ठहर जाए ।
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।

बादलों की गंध में
खोया हुआ है मन,
हो रही शिराओं में
सावनी सिहरन
जीत का, यह हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।

तुम सुनाओ ग़ज़ल कोई
गीत हम गाऍं,
क्या पता हम-तुम
कहीं फिर दूर हो जाऍं,
मान का, मनुहार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो-
यह प्यार का मौसम ठहर जाए ।