भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरी पगडंडी मत भूलना / ओम निश्चल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=ओम निश्चल   
 
|रचनाकार=ओम निश्चल   
|संग्रह=शब्दि सक्रिय हैं
+
|संग्रह=शब्‍द सक्रिय हैं / ओम निश्चल
 
}}
 
}}
 
{{KKCatNavgeet}}
 
{{KKCatNavgeet}}

09:26, 14 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

बँगले में रहना जी
मोटर में घूमना
मेरी पगडंडी मत भूलना ।

भूल गयी होंगी वे
नेह छोह की बातें
पाती लिख लिख प्रियवर
भेज रही सौगातें

हँसी-खुशी रहना जी
फूलों-सा झूमना
पर मेरी याद नहीं भूलना ।
मेरी पगडंडी मत भूलना ।।

माना, मैं भोली हूँ
अपढ़ हूँ, गँवारन हूँ
पर दिल की सच्ची हूँ
प्रेम की पुजारन हूँ

गाँव से गुज़रना जी
शहर से गुज़रना जी
प्यार भरी देहरी मत भूलना ।
मेरी पगडंडी मत भूलना ।।

अलसाई आँखों में
आ रे निदिया आ रे,
पलकों में पाल रही हूँ
मैं सपने क्वाँरे
चाहे जो करना जी
एक अरज सुनना जी
ये क्वाँरे सपने मत तोड़ना ।
मेरी पगडंडी मत भूलना ।।