भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धोरों की महक / राजेन्द्र जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>धोरे धोरों क…) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी | |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=सब के साथ मिल जाएगा / राजेन्द्र जोशी |
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}}<poem>धोरे | {{KKCatKavita}}<poem>धोरे |
04:00, 28 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
धोरे
धोरों की सुंदरता
क्यों लगती है सुहावनी !
धोरों पर सोते हैं
बैठते है
गुनगुनाते है
धोरों में चमक हैं !
क्या करता है यहां सोना ?
सोने को क्यों नहीं निकालते ?
निकलता है सोना
तभी तो कहता हैं
अमेरिका
भारत ज्ञान का विपुल भण्डार है
हथिया लेगें ये सारा विश्व !