भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मन.. / अर्जुनदेव चारण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्जुनदेव चारण |संग्रह= }}‎ {{KKCatKavita‎}} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
अपने मन का द्वार।
 
अपने मन का द्वार।
  
 +
'''अनुवाद :-  कुन्दन माली'''
 
</Poem>
 
</Poem>

13:20, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण


बेटी
खोलती है घर का दरवाजा
पीढ़ियों का मार्ग
भविष्य की अर्गलाएं
पर
कभी नहीं खोलती
अपने मन का द्वार।

अनुवाद :- कुन्दन माली