भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पानी के संस्मरण / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
बयार : खिड़की पर खड़े, आ गई फुहार
 
बयार : खिड़की पर खड़े, आ गई फुहार
 
रात : उजली रेती के पार; सहसा दिखी
 
रात : उजली रेती के पार; सहसा दिखी
शान्त नदी गहरी
+
                    शान्त नदी गहरी
  
 
मन में पानी के अनेक संस्मरण हैं ।
 
मन में पानी के अनेक संस्मरण हैं ।
 
</poem>
 
</poem>

00:46, 19 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

कौंध । दूर घोर वन में मूसलाधार वृष्टि
दुपहर : घना ताल : ऊपर झुकी आम की डाल
बयार : खिड़की पर खड़े, आ गई फुहार
रात : उजली रेती के पार; सहसा दिखी
                    शान्त नदी गहरी

मन में पानी के अनेक संस्मरण हैं ।