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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div>
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<div style="font-size:15px;">'''आज 28 जुलाई को आदरणीय श्री अनिल जनविजय जी का जन्मदिवस है उनके शतायु होने की कामना के साथ प्रस्तुत है उनकी कविता शीर्षक : *नया वर्ष* '''रचनाकार:''' [[अनिल जनविजय]] </div>
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</tr>
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</table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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नया वर्ष
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संगीत की बहती नदी हो
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गेहूँ की बाली दूध से भरी हो
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अमरूद की टहनी फूलों से लदी हो
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खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष
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नया वर्ष
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<div style="text-align: center;">
सुबह का उगता सूरज हो
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
हर्षोल्लास में चहकता पाखी
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</div>
नन्हे बच्चों की पाठशाला हो
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निराला-नागार्जुन की कविता
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नया वर्ष
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
चकनाचूर होता हिमखंड हो
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
धरती पर जीवन अनंत हो
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अपरिचित पास आओ
रक्तस्नात भीषण दिनों के बाद
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हर कोंपल, हर कली पर छाया वसंत हो
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(रचनाकाल : 1995)
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
</pre></center></div>
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया