"अर्थशाला / भाग 1 / केशव कल्पान्त" के अवतरणों में अंतर
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विषय ज्ञान से पहले उसकी, | विषय ज्ञान से पहले उसकी, | ||
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परिभाषा ही मान जाइए ॥1॥ | परिभाषा ही मान जाइए ॥1॥ | ||
− | + | अर्थशास्त्र की परिभाषा पर, | |
− | मत अनेक सम्मुख | + | मत अनेक सम्मुख आए हैं। |
अर्थशास्त्री मिले पाँच जब, | अर्थशास्त्री मिले पाँच जब, | ||
− | + | छह-छह मत प्रस्तुत पाए हैं ॥2॥ | |
सीमाओं में बँधी हुई हैं, | सीमाओं में बँधी हुई हैं, | ||
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अति वैज्ञानिक रूप दिखाया। | अति वैज्ञानिक रूप दिखाया। | ||
इसलिये उनको ही सबने, | इसलिये उनको ही सबने, | ||
− | + | अर्थशास्त्र का ‘जनक’ बताया ॥5॥ | |
− | ‘राष्ट्रों के | + | ‘राष्ट्रों के धन’ पुस्तक ने फिर, |
विश्व चेतना जाग्रत कर दी। | विश्व चेतना जाग्रत कर दी। | ||
अर्थशास्त्र के विद्वानों में | अर्थशास्त्र के विद्वानों में | ||
− | + | नवयुगीन प्रेरणा भर दी ॥6॥ | |
एडम स्मिथ ने ही अर्थशास्त्र को, | एडम स्मिथ ने ही अर्थशास्त्र को, | ||
− | + | ‘धन’ का नवविज्ञान बताया। | |
मानव के भौतिक जीवन में, | मानव के भौतिक जीवन में, | ||
− | + | ‘धन’ को ही था साध्य बताया ॥7॥ | |
निजी स्वार्थ से प्रेरित होकर, | निजी स्वार्थ से प्रेरित होकर, | ||
मानव काम किया करता है। | मानव काम किया करता है। | ||
− | इच्छाओं की पूर्ति हेतु | + | इच्छाओं की पूर्ति हेतु धन, |
संग्रह नित्य किया करता है ॥8॥ | संग्रह नित्य किया करता है ॥8॥ | ||
‘स्मिथ’ ने ही इस मानव को, | ‘स्मिथ’ ने ही इस मानव को, | ||
‘आर्थिक मानव’ नाम दिया है। | ‘आर्थिक मानव’ नाम दिया है। | ||
− | स्व-हित स्वार्थ | + | स्व-हित स्वार्थ साधनों पर ही, |
जीवन का विश्वास किया है ॥9॥ | जीवन का विश्वास किया है ॥9॥ | ||
जीवन-क्रम में कैसे-कैसे, | जीवन-क्रम में कैसे-कैसे, | ||
− | + | धन अर्जन करता है मानव। | |
यही शास्त्र की परिभाषा है, | यही शास्त्र की परिभाषा है, | ||
कहता अर्थशास्त्रविद् मानव ॥10॥ | कहता अर्थशास्त्रविद् मानव ॥10॥ | ||
− | + | ‘जे०बी० से’ ने खुले रूप में, | |
‘स्मिथ’ को ही था दुहराया। | ‘स्मिथ’ को ही था दुहराया। | ||
‘वाकर’ ने भी अर्थशास्त्र को, | ‘वाकर’ ने भी अर्थशास्त्र को, | ||
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विद्वानों की शृंखला में इनको, | विद्वानों की शृंखला में इनको, | ||
संस्थापक माना जाता है ॥12॥ | संस्थापक माना जाता है ॥12॥ | ||
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Ere you gain knowledge of a subject, | Ere you gain knowledge of a subject, | ||
Its definition ought to be known. | Its definition ought to be known. | ||
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Among the learned of the subject. | Among the learned of the subject. | ||
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17:32, 27 अगस्त 2018 के समय का अवतरण
विषय ज्ञान से पहले उसकी,
परिभाषा को जान जाइए।
विषय-वस्तु की सामग्री को,
परिभाषा ही मान जाइए ॥1॥
अर्थशास्त्र की परिभाषा पर,
मत अनेक सम्मुख आए हैं।
अर्थशास्त्री मिले पाँच जब,
छह-छह मत प्रस्तुत पाए हैं ॥2॥
सीमाओं में बँधी हुई हैं,
अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ।
जैसे जीवन को घेरे हैं,
प्रतिपल नूतन अभिलाषाएँ ॥3॥
पुराकाल में अर्थशास्त्र को,
राज्य व्यवस्था से जोड़ा था।
यूनानी विद्वानों ने तो,
गृह शिल्पोन्मुख कर जोड़ा था ॥4॥
सर्वप्रथम एडम स्मिथ ने ही,
अति वैज्ञानिक रूप दिखाया।
इसलिये उनको ही सबने,
अर्थशास्त्र का ‘जनक’ बताया ॥5॥
‘राष्ट्रों के धन’ पुस्तक ने फिर,
विश्व चेतना जाग्रत कर दी।
अर्थशास्त्र के विद्वानों में
नवयुगीन प्रेरणा भर दी ॥6॥
एडम स्मिथ ने ही अर्थशास्त्र को,
‘धन’ का नवविज्ञान बताया।
मानव के भौतिक जीवन में,
‘धन’ को ही था साध्य बताया ॥7॥
निजी स्वार्थ से प्रेरित होकर,
मानव काम किया करता है।
इच्छाओं की पूर्ति हेतु धन,
संग्रह नित्य किया करता है ॥8॥
‘स्मिथ’ ने ही इस मानव को,
‘आर्थिक मानव’ नाम दिया है।
स्व-हित स्वार्थ साधनों पर ही,
जीवन का विश्वास किया है ॥9॥
जीवन-क्रम में कैसे-कैसे,
धन अर्जन करता है मानव।
यही शास्त्र की परिभाषा है,
कहता अर्थशास्त्रविद् मानव ॥10॥
‘जे०बी० से’ ने खुले रूप में,
‘स्मिथ’ को ही था दुहराया।
‘वाकर’ ने भी अर्थशास्त्र को,
‘धन’ का ही विज्ञान बताया ॥11॥
‘स्मिथ’ और अनुयायियों को ही,
‘प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री’ कहा जाता है।
विद्वानों की शृंखला में इनको,
संस्थापक माना जाता है ॥12॥
Ere you gain knowledge of a subject,
Its definition ought to be known.
For by its matter done,
Is its definition surely known.
Regarding the definition of Economics,
Several views are found.
Whenever five economists assemble,
Their six opinions resound.
The definitions of Economics,
By limitations are bound.
Like life at every moment,
Our novel wants surround.
Economics in olden days,
with politics was aligned.
The Hellenic mind domestic craft,
To labour it assigned.
The very scientific view was first,
By Adam Smith shown.
Therefore was he by everyone,
As the father of Economics known.
‘The Wealth of Nations’ did arouse,
The spirit of the world again.
And filled the learned Economists,
With new times urge full fain.
Adam Smith alone did term Economics,
As the Science of Wealth.
In man's material life,
The end was certainly wealth.
The selfish motive fully,
The actions of man commands.
Amassing of wealth is done,
For the fulfilment of wants.
Economic man' was the title,
By Adam Smith given.
Life was, indeed, believed to be,
Self aggrandisement-ridden.
How a man manages to earn,
Wealth in the process of life.
Is the definition of the subject,
Economist does tell to like.
J. B. Say repeated well,
what Smith had revealed.
It is the science of wealth,
was Walker to say so pleased.
Smith and his followers,
As Classical Economists all accept.
They are known as founders,
Among the learned of the subject.