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− | मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ | + | गीत नहीं गाता हूँ |
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− | दूसरी अनुभूति : गीत नया गाता हूँ | + | गीत नया गाता हूँ |
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− | + | टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर | |
− | टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर | + | पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर |
− | पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर | + | झरे सब पीले पात |
− | झरे सब पीले पात | + | कोयल की कुहुक रात |
− | कोयल की कुहुक रात | + | |
− | प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ | + | प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ |
− | गीत नया गाता हूँ | + | गीत नया गाता हूँ |
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− | टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी | + | टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी |
− | अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी | + | अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी |
− | + | हार नहीं मानूँगा, | |
− | हार नहीं मानूँगा, | + | रार नई ठानूँगा, |
− | रार नई | + | |
− | काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ | + | काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ |
− | गीत नया गाता हूँ < | + | गीत नया गाता हूँ |
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16:42, 13 जून 2018 के समय का अवतरण
पहली अनुभूति:
गीत नहीं गाता हूँ
बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
दूसरी अनुभूति:
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ