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"ठूंठ अर चूंच / अम्बिका दत्त" के अवतरणों में अंतर

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<poem>धिक्कार छै ई कठफोड़ी जूण नै
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धिक्कार छै ई कठफोड़ी जूण नै
 
सारी उमर
 
सारी उमर
 
ठक-ठक करतां ही खड जावे
 
ठक-ठक करतां ही खड जावे

07:23, 12 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण

धिक्कार छै ई कठफोड़ी जूण नै
सारी उमर
ठक-ठक करतां ही खड जावे
पण
तोल ई न्ह पडे
आवाज ठूंठ में सूं आ रही छै
क चूंच म सूं ।