भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बादरु गरजइ बिजुरी / कन्नौजी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
|भाषा=कन्नौजी | |भाषा=कन्नौजी | ||
}} | }} | ||
+ | [[Category:लोकगीत]] | ||
+ | <poem> | ||
− | बादरु गरजइ बिजुरी चमकइ | + | बादरु गरजइ बिजुरी चमकइ |
− | बैरिनि ब्यारि चलइ पुरबइया, | + | बैरिनि ब्यारि चलइ पुरबइया, |
− | काहू सौतिन नइँ भरमाये | + | काहू सौतिन नइँ भरमाये |
− | ननदी फेरि तुम्हारे भइया।। | + | ननदी फेरि तुम्हारे भइया।। |
− | दादुर मोर पपीहा बोलइँ | + | दादुर मोर पपीहा बोलइँ |
− | भेदु हमारे जिय को खोलइँ | + | भेदु हमारे जिय को खोलइँ |
− | बरसा नाहिं, हमारे आँसुन | + | बरसा नाहिं, हमारे आँसुन |
− | सइ उफनाने ताल-तलइया। | + | सइ उफनाने ताल-तलइया। |
− | काहू सौतिन...।। | + | काहू सौतिन...।। |
− | सबके छानी-छप्पर द्वारे | + | सबके छानी-छप्पर द्वारे |
− | छाय रहे उनके घरवारे, | + | छाय रहे उनके घरवारे, |
− | बिन साजन को छाजन छावइ | + | बिन साजन को छाजन छावइ |
− | कौन हमारी धरइ मड़इया । | + | कौन हमारी धरइ मड़इया । |
− | काहू सौतिन...।। | + | काहू सौतिन...।। |
− | सावन सूखि | + | सावन सूखि गई सब काया |
− | देखु भक्त कलियुग की माया, | + | देखु भक्त कलियुग की माया, |
− | घर की खीर, | + | घर की खीर, खुरखुरी लागइ |
− | बाहर की भावइ गुड़-लइया। | + | बाहर की भावइ गुड़-लइया। |
− | काहू सौतिन...।। | + | काहू सौतिन...।। |
− | देखि-देखि के नैन हमारे | + | देखि-देखि के नैन हमारे |
− | भँवरा आवइँ साँझ–सकारे, | + | भँवरा आवइँ साँझ–सकारे, |
− | लछिमन रेखा खिंची अवधि की | + | लछिमन रेखा खिंची अवधि की |
− | भागि जाइँ सब छुइ-छुइ ढइया । | + | भागि जाइँ सब छुइ-छुइ ढइया । |
− | काहू सौतिन...।। | + | काहू सौतिन...।। |
− | माना तुम नर हउ हम नारी | + | माना तुम नर हउ हम नारी |
− | बजइ न एक हाथ सइ तारी, | + | बजइ न एक हाथ सइ तारी, |
− | चारि दिना के बाद यहाँ सइ | + | चारि दिना के बाद यहाँ सइ |
− | उड़ि जायेगी सोन चिरइया। | + | उड़ि जायेगी सोन चिरइया। |
− | काहू सौतिन...।।< | + | काहू सौतिन...।। |
+ | </poem> |
10:57, 8 मई 2010 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: ठा॰ गंगाभक्त सिंह भक्त
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
बादरु गरजइ बिजुरी चमकइ
बैरिनि ब्यारि चलइ पुरबइया,
काहू सौतिन नइँ भरमाये
ननदी फेरि तुम्हारे भइया।।
दादुर मोर पपीहा बोलइँ
भेदु हमारे जिय को खोलइँ
बरसा नाहिं, हमारे आँसुन
सइ उफनाने ताल-तलइया।
काहू सौतिन...।।
सबके छानी-छप्पर द्वारे
छाय रहे उनके घरवारे,
बिन साजन को छाजन छावइ
कौन हमारी धरइ मड़इया ।
काहू सौतिन...।।
सावन सूखि गई सब काया
देखु भक्त कलियुग की माया,
घर की खीर, खुरखुरी लागइ
बाहर की भावइ गुड़-लइया।
काहू सौतिन...।।
देखि-देखि के नैन हमारे
भँवरा आवइँ साँझ–सकारे,
लछिमन रेखा खिंची अवधि की
भागि जाइँ सब छुइ-छुइ ढइया ।
काहू सौतिन...।।
माना तुम नर हउ हम नारी
बजइ न एक हाथ सइ तारी,
चारि दिना के बाद यहाँ सइ
उड़ि जायेगी सोन चिरइया।
काहू सौतिन...।।