"सौन्दर्यँ दशर्नम् / संस्कृत" के अवतरणों में अंतर
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वैभवं कामये न धनं कामये<br> | वैभवं कामये न धनं कामये<br> | ||
केवलं कामिनी दर्शनं कामये<br> | केवलं कामिनी दर्शनं कामये<br> | ||
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सृष्टि कार्येण तुष्टोस्म्यहं यद्यपि<br> | सृष्टि कार्येण तुष्टोस्म्यहं यद्यपि<br> | ||
चापि सौन्दर्य संवर्धनं कामये।<br> | चापि सौन्दर्य संवर्धनं कामये।<br> | ||
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शोभिता तत्र सर्वांग आन्दोलिता<br> | शोभिता तत्र सर्वांग आन्दोलिता<br> | ||
अनवरत यान परिचालनं कामये।<br> | अनवरत यान परिचालनं कामये।<br> | ||
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सैव मिलिता सड़क परिवहन वाहने<br> | सैव मिलिता सड़क परिवहन वाहने<br> | ||
पंक्ति बद्धाः वयं यात्रि संमर्दने<br> | पंक्ति बद्धाः वयं यात्रि संमर्दने<br> | ||
मम समक्षे स्थिता श्रोणि वक्षोन्नता<br> | मम समक्षे स्थिता श्रोणि वक्षोन्नता<br> | ||
अप्रयासांग स्पर्शनं कामये।<br> | अप्रयासांग स्पर्शनं कामये।<br> | ||
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सैव दृष्टा मया अद्य नद्यास्तटे<br> | सैव दृष्टा मया अद्य नद्यास्तटे<br> | ||
सा जलान्निर्गता भाति क्लेदित पटे<br> | सा जलान्निर्गता भाति क्लेदित पटे<br> | ||
दृशयते यादृशा शाटिकालिंगिता<br> | दृशयते यादृशा शाटिकालिंगिता<br> | ||
तादृशम् एव आलिंगनं कामये।<br> | तादृशम् एव आलिंगनं कामये।<br> | ||
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एकदा मध्य नगरे स्थिते उपवने<br> | एकदा मध्य नगरे स्थिते उपवने<br> | ||
अर्धकेशामपश्यम् लता मण्डपे<br> | अर्धकेशामपश्यम् लता मण्डपे<br> | ||
आंग्ल शवानेन सह खेलयन्ती तदा<br> | आंग्ल शवानेन सह खेलयन्ती तदा<br> | ||
अहमपि श्वानवत् क्रीडनं कामये।<br> | अहमपि श्वानवत् क्रीडनं कामये।<br> | ||
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नित्य पश्याम्यहं हाटके परिभ्रमन्<br> | नित्य पश्याम्यहं हाटके परिभ्रमन्<br> | ||
तां लिपिष्टकाधरोष्ठी कटाक्ष चालयन्<br> | तां लिपिष्टकाधरोष्ठी कटाक्ष चालयन्<br> | ||
अतिमनोहारिणीं मारुति गामिनीम्<br> | अतिमनोहारिणीं मारुति गामिनीम्<br> | ||
अंग प्रत्यंग आघातनं कामये।<br> | अंग प्रत्यंग आघातनं कामये।<br> | ||
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स्कूटी यानेन गच्छति स्वकार्यालयं<br> | स्कूटी यानेन गच्छति स्वकार्यालयं<br> | ||
अस्ति मार्गे वृहद् गत्यवरोधकम्<br> | अस्ति मार्गे वृहद् गत्यवरोधकम्<br> | ||
दृश्यते कूर्दयन् वक्ष पक्षी द्वयं<br> | दृश्यते कूर्दयन् वक्ष पक्षी द्वयं<br> | ||
पथिषु सर्वत्र अवरोधकम् कामये।<br> | पथिषु सर्वत्र अवरोधकम् कामये।<br> |
10:47, 8 मई 2010 के समय का अवतरण
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वैभवं कामये न धनं कामये
केवलं कामिनी दर्शनं कामये
सृष्टि कार्येण तुष्टोस्म्यहं यद्यपि
चापि सौन्दर्य संवर्धनं कामये।
रेलयाने स्थिता उच्च शयनासने
मुक्त केशांगना अस्त व्यस्तासने
शोभिता तत्र सर्वांग आन्दोलिता
अनवरत यान परिचालनं कामये।
सैव मिलिता सड़क परिवहन वाहने
पंक्ति बद्धाः वयं यात्रि संमर्दने
मम समक्षे स्थिता श्रोणि वक्षोन्नता
अप्रयासांग स्पर्शनं कामये।
सैव दृष्टा मया अद्य नद्यास्तटे
सा जलान्निर्गता भाति क्लेदित पटे
दृशयते यादृशा शाटिकालिंगिता
तादृशम् एव आलिंगनं कामये।
एकदा मध्य नगरे स्थिते उपवने
अर्धकेशामपश्यम् लता मण्डपे
आंग्ल शवानेन सह खेलयन्ती तदा
अहमपि श्वानवत् क्रीडनं कामये।
नित्य पश्याम्यहं हाटके परिभ्रमन्
तां लिपिष्टकाधरोष्ठी कटाक्ष चालयन्
अतिमनोहारिणीं मारुति गामिनीम्
अंग प्रत्यंग आघातनं कामये।
स्कूटी यानेन गच्छति स्वकार्यालयं
अस्ति मार्गे वृहद् गत्यवरोधकम्
दृश्यते कूर्दयन् वक्ष पक्षी द्वयं
पथिषु सर्वत्र अवरोधकम् कामये।