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"मैंने उसको... / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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मैंने उसको
 
मैंने उसको
  
::जब-जब देखा,
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जब-जब देखा,
 
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लोहा देखा,
::लोहा देखा,
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लोहे जैसा--
 
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तपते देखा,
::लोहा जैसा--
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गलते देखा,
 
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ढलते देखा,
::तपते देखा,
+
 
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::गलते देखा,
+
 
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::ढलते देखा,
+
 
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मैंने उसको
 
मैंने उसको
  
::गोली जैसा
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गोली जैसा
 
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चलते देखा!</poem>
::चलते देखा !
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20:13, 8 मार्च 2021 के समय का अवतरण

मैंने उसको

जब-जब देखा,
लोहा देखा,
लोहे जैसा--
तपते देखा,
गलते देखा,
ढलते देखा,
मैंने उसको

गोली जैसा
चलते देखा!