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− | + | सजे-सजाये घर की तन्हा चिड़िया! | |
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तेरी तारा-सी आँखों की वीरानी में | तेरी तारा-सी आँखों की वीरानी में | ||
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पच्छुम जा छिपने वाले शहज़ादों की माँ का दुख है | पच्छुम जा छिपने वाले शहज़ादों की माँ का दुख है | ||
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तुझको देख के अपनी माँ को देख रही हूँ | तुझको देख के अपनी माँ को देख रही हूँ | ||
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सोच रही हूँ | सोच रही हूँ | ||
− | + | सारी माँएँ एक मुक़द्दर क्यों लाती हैं? | |
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गोदें फूलों वाली | गोदें फूलों वाली | ||
− | + | आँखें फिर भी ख़ाली। | |
− | आँखें फिर भी | + | </poem> |
12:19, 25 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
सजे-सजाये घर की तन्हा चिड़िया!
तेरी तारा-सी आँखों की वीरानी में
पच्छुम जा छिपने वाले शहज़ादों की माँ का दुख है
तुझको देख के अपनी माँ को देख रही हूँ
सोच रही हूँ
सारी माँएँ एक मुक़द्दर क्यों लाती हैं?
गोदें फूलों वाली
आँखें फिर भी ख़ाली।