Last modified on 1 अक्टूबर 2014, at 20:38

"सुअर (दो) / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

('एक ऊंची इमारत से बिलकुल तड़के एक तन्दरुस्त सुअर नि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=उदय प्रकाश
 +
|अनुवादक=
 +
|संग्रह=सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
एक ऊंची इमारत से  
 
एक ऊंची इमारत से  
 
बिलकुल तड़के  
 
बिलकुल तड़के  
पंक्ति 5: पंक्ति 13:
 
बैठ कर
 
बैठ कर
 
शहर की ओर चला गया  
 
शहर की ओर चला गया  
 
  
 
शहर में जलसा था  
 
शहर में जलसा था  
पंक्ति 12: पंक्ति 19:
 
कॉफी - बिस्कुट बंटे
 
कॉफी - बिस्कुट बंटे
 
मालाएँ उछलीं
 
मालाएँ उछलीं
 
  
 
अगली सुबह  
 
अगली सुबह  
पंक्ति 18: पंक्ति 24:
 
मुस्करा रहा था  
 
मुस्करा रहा था  
 
उसने कहा था  
 
उसने कहा था  
हम विकास कर रहे हैं  
+
हम विकास कर रहे हैं  
 
+
  
 
उसी रात शहर से  
 
उसी रात शहर से  
 
चीनी और मिट्टी का तेल  
 
चीनी और मिट्टी का तेल  
ग़ायब थे ।
+
ग़ायब थे।
 +
</poem>

20:38, 1 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

एक ऊंची इमारत से
बिलकुल तड़के
एक तन्दरुस्त सुअर निकला
और मगरमच्छ जैसी कार में
बैठ कर
शहर की ओर चला गया

शहर में जलसा था
फ्लैश चमके
जै- जै हुई
कॉफी - बिस्कुट बंटे
मालाएँ उछलीं

अगली सुबह
सुअर अखबार में
मुस्करा रहा था
उसने कहा था
हम विकास कर रहे हैं

उसी रात शहर से
चीनी और मिट्टी का तेल
ग़ायब थे।